पटना शुक्ला: यूनिवर्सिटी घोटाले का पर्दाफाश| PATNA SHUKLLA REVIEW 

परिचयपटना शुक्ला समीक्षा: रवीणा का जीतने वाला प्रदर्शन इस नॉन-नांसेन्स लीगल ड्रामा को शक्ति प्रदान करता है
समीक्षक रेटिंग3.5/5
लेखक: रोनक कोटेचा, 29 मार्च 2024, 09:00 बजे
कहानी: एक दृढ़ और निर्धारित वकील एक उच्च दाँव की यूनिवर्सिटी घोटाले के खिलाफ पटना में और शहर की गंदी राजनीतिक प्रणाली के खिलाफ एक गरीब छात्र की मदद करने के लिए उठाता है। लेकिन न्याय की तलाश में उसे एक बहुत ही जटिल स्थिति में डाल देती है।

पटना शुक्ला: यूनिवर्सिटी घोटाले का पर्दाफाश| PATNA SHUKLLA REVIEW 

परिचय: फिल्म ‘पटना शुक्ला’ का संदेश और कहानी कैसे है, इस पर चर्चा करें।

कहानी का सार: रवीणा टंडन की पात्रिका तन्वी शुक्ला एक बहादुर और निर्धारित वकील है जो पटना के नागरिक न्यायालय के बाहर एक सिरी से मर्दानी वकीलों के साथ बैठी है। उसे केवल एक औरत के रूप में देखा जाता है जिसके पास किसी केस को लड़ने की वास्तविक क्षमता नहीं है।

समीक्षा: फिल्म में पूर्वानुमान सबसे मजबूत पहलु में से एक नहीं है। फिर भी, जैसे कि लेखक-निर्देशक विवेक बुडकोटी (सह लेखक समीर अरोड़ा, फरीद खान के साथ) एक साधारण कहानी को बिना कहानी से हाथ धोए बिना कैसे प्रस्तुत करते हैं, यह सराहनीय है।

रवीणा टंडन का अभिनय: रवीणा टंडन ने तन्वी की मजबूत इच्छाशक्ति और भेदभावहीनता को चित्रित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

मनवीर विज की भूमिका: मनवीर विज अपनी पत्नी के लिए जो कुछ सही है के लिए कड़ी खड़ी एक स्थिति में होने के बीच का संतुलन बनाने के लिए अच्छे से उपयुक्त हैं।

संगीत और बैकग्राउंड स्कोर: फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर भूलने योग्य हैं।

कास्ट और कार्यक्रम: फिल्म का कास्ट अच्छे अभिनेताओं से भरपूर है।

निष्कर्ष: ‘पटना शुक्ला’ एक सामाजिक-नैतिक नाटक है जो एक बहुत ही स्थानीय मुद्दे को उठाता है।

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FAQs:

  1. क्या ‘पटना शुक्ला’ एक मंगलीक फिल्म है?
    • नहीं, यह एक नॉन-नांसेन्स लीगल ड्रामा है।
  2. कौन सा किरदार सबसे अधिक यादगार है?
    • रवीणा टंडन का किरदार बेहद यादगार है।
  3. क्या फिल्म का संगीत यादगार है?
    • नहीं, फिल्म का संगीत और बैकग्राउंड स्कोर भूलने योग्य है।
  4. क्या ‘पटना शुक्ला’ का कार्यक्रम धीमा है?
    • हां, फिल्म का कार्यक्रम थोड़ा धीमा है।
  5. क्या फिल्म ने शिक्षा घोटाले के विषय में विस्तार से चर्चा की है?
    • नहीं, फिल्म अपनी सीमित दृष्टिकोण में रहती है और विषय के अकादमिक चालचिह्नों में नहीं गहराई में जाती है।

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